तेज हवा और बारिश ने खेतों में बिछा दी धान की हरी-भरी चादर

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तेज हवा और बारिश से धान की फसल झुक जाती है, जिससे फसल की कटाई और प्रबंधन में कठिनाई होती है।

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बिछी हुई फसल से धान की बालियां मिट्टी के संपर्क में आ जाती हैं, जिससे दाने गंदे हो सकते हैं और उपज की गुणवत्ता में कमी आ सकती है।

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तेज बारिश से खेतों में पानी भर जाता है, जिससे फसल की जड़ों को नुकसान पहुंच सकता है और जड़ों में सड़न की संभावना बढ़ जाती है।

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बिछी हुई फसल को सही समय पर काटने और सूखाने में देरी होती है, जिससे बाजार में सप्लाई चेन प्रभावित हो सकती है।

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धान की फसल बिछने के बाद कीट और रोगों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाती है, जिससे फसल की सुरक्षा के लिए अतिरिक्त उपायों की आवश्यकता होती है।

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बिछी हुई फसल की कटाई और प्रबंधन में अतिरिक्त श्रम और समय की जरूरत होती है, जिससे लागत में वृद्धि होती है।

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बारिश और हवा के कारण फसल के टूटने और नष्ट होने की संभावना बढ़ जाती है, जिससे कुल फसल पर प्रतिकूल असर पड़ता है।

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